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मोकदमा / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
Kavita Kosh से
यह देखो कचहरी
कचहरी में मेला
अगर कुछ लेबै के हो
तब तहूं कुछ देला
की कह रहलो हे वकील
कि तोहर मामला हो जाली?
उग लतो तब
जब कर देबा अपन जेब खाली
हकीकत उड़ जैतो,
जेकरे पर मोकदमा हो
ओकरे दने घुर जैतो
हम तो जर जाही,
मोकदमा के नाम जे ले हे
ओकरा पर उखड़ जाही
हम्हूं लड़लू हे केस,
देखले हे
पैसा के दउड़इत
ओकर रेस
तोरा नै होतो ई अंदाज,
कि हमरो हलै
कभी तख्त और ताज
हलै रूपैया
बोरा के बोरा,
दरवाजा पर
बंधल हल हाथी अउ घोड़ा
लेकिन ई मोकदमा?
हे बबुआ,
नरक तो नरक हे
सरगो में सदमा।
मोकदमा डाक दे दे हे।
मर जा है आदमी
जीवन तलाक दे दे हे।