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मोनक हुलास / शम्भुनाथ मिश्र

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भेल सोहाओन फागु हे प्रीतम घर अओता
सोलह सजब शृंगार हे प्रीतम घर अओता

छोड़ि पिया निज गेला विदेशे
फोनक टुनटुन हमर सनेसे
झुमत हमर मन आजु हे
प्रीतम घर अओता

अपनहिँ हाथेँ रंग लगायब
आनन्दक हम गंग नहायब
रूप निहारब आजु हे
प्रीतम घर अओता

संगहि रहि हम हृदय जुड़ायब
प्रेमक सागरमे डुबि जायब
विरहक स्नेह अपार हे,
प्रीतम घर अओता

प्रभुसँ विनती युग-युग जीबथु
प्रणयक रसकेँ पुनि-पुनि पीबथु
अचल रहय अहिबात हे,
प्रीतम घर अओता