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मोन-एक / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
अकास दिस तकै छी
देखाइए-
भरि अकासक बदरी एक्के ठाम जुमैत
बदरी चलइए
बतास चलइए
बुन्न खसइए।
हमर मोनक अकासमे सेहो
बदरी घुमइए
भावनाक बतास चलइए
शब्दक बुन्न खसइए
कागतक धरती पर
खूब बरखा होइए
मोन नचइए
मोन नहाइए।