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मोरे क्यों गेरेस भूल / हरियाणवी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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मोरे क्यों गेरेस भूल,
रूप खिल दिया सरसों का फूल
क्यों बोले से बात दरद की ।
मेरे चुभ से ऎणी रे करद की,
मालुम पट जा वीर मरद की,
पा पीटें हवालात में ।
भावार्थ
(पत्नी अपने पति से मिलने के लिए सिपाही का रूप धर कर पलटन में पति के पास पहुँच गई है। वहीं पर दोनों
के बीच यह वार्तालाप हो रहा है ।)
--'अरी तू यह क्या भूल कर रही है । देख तो तेरा रूप सरसों के फूलों की तरह खिला हुआ है । तू ऎसी बात
क्यों कहती है जिसे सुनकर पीड़ा होती है ? यदि दूसरों को यह भेद मालूम पड़ गया कि यह वीर मर्द कौन है तो
पीट-पीट कर हवालात में बन्द कर देंगे ।