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मोह भंग - 2 / संगीता गुप्ता
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उनके बीच
एक कांपता कुछ
सहस्त्रों योजन
की दूरी
क्षणांश में
पार कर लेते, किन्तु
चला नहीं
एक ही धड़धड़ाहट की
निर्मम चपेट में
ढहरा गया सेतु