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मौत / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
मौत
चोरों की तरह
दबे पाँव
चुपचाप आयी
उजास से नहाते
इन्सान को देख
सहम गयी
अंधेरा न हो तो
चोरी नाकामयाब होती है
एकबार फिर
मन मसोस
लौटना पड़ा उसे
मौत को
पता नहीं शायद
कुछ लोग
आसानी से
नहीं मरते