♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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वररा दादाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
वररा काकाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
गुँथी लावो म्हारी मालण स्याम सेवरो ओर
भली चंपे की कलियाँ गुंजामें गुंजो लाल जमेरी
ओरज मीठी दाखड़ली सेजा में मीठा गरी गीडोला।
वररा वीराजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
वररा मामाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
गुँथी लावो म्हारी मालण स्याम सेवरो ओर भली
भली चंपे की कलियाँ गुंजा में गुंजो लाल जमेरी
ओरज मीठी दाखड़ली सेजा में मीठा गरी गींडोला।
वररा फूफा वररा जीजाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
वररा मासाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
इसी तरह परिवार के विभिन्न रिश्तेदारों के नाम जोड़ते-जोड़ते गीत लम्बा होता चला जाता है।