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यही इरादा है मन में / संतलाल करुण

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नए साल के पहले दिन पर, यही इरादा है मन में
मेरे किसी काम से कोई, तनिक दुखी न हो जीवन में |

खाने-पीने, सोने-जगने, देह की ये दुनियादारी
ये सब तो आपे की दुनिया, जीने की दुनिया न्यारी |

जीवन की आपा-धापी में, इधर कुआँ उधर है खाई
अंधे हो-होकर आपस में, ऐसा क्या टकराना भाई |

सच्चा-सच्चा बोल-वचन, दरयादिल हो अच्छा अच्छा
बेटी-बहू किसी के घर की, निर्भय चले बिना अभिरक्षा |

आशाओं की बखिया उधड़ी, विश्वास बहुत से टूट गए
फाँसी के फंदे कसे गए, फिर भी आँसू हैं नहीं गए |

अब भी बेटियों की खातिर, माँ-बाप का दिल रोता है
कातिल जगता अदालत में, जज घोड़े बेच के सोता है |

भोग-भोग ही क्या चिल्लाना, त्याग-भोग की राह चलें
अपना और सभी का जीवन, सब के हित की बात करें |

काम किसी के आ जाएँ, ऐसा हो सौभाग्य हमारा
किसी का बिगड़ा काम बने, पूरे मन से वारा-न्यारा |

रिश्ते-नाते ना छूटें, प्यार-मुहब्बत, मिलना-जुलना
दुनिया चाहत की भूखी, एतबार-भरा दिल का जुड़ना |

कोई नहीं पराया जग में, सब में बस उसी की रग है
सब के सुख-दुख में जीना, एक नूर से सब जगमग है |

समय नहीं रुकने वाला है, किया-धरा रह जाना है
जीवन का कल किसने देखा, बचा-खुचा निपटाना है |

बेटी की शादी है करनी, बेटे का है ब्याह रचाना
ईंट-ईंट से घर बनना है, द्वारे पर है पेड़ लगाना |

कुछ बेला, कुछ गेंदे होंगे, कुछ गुलाब, मोगरा, चमेली
बेल का पौधा एक किनारे, मीठी नीम एक अलबेली |

घर के पेड़ मुहारा साजें, पौधों का सुख–चैन नजारा
अहसासों की बगिया महके, विश्वासों का प्यार-हजारा |