भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यह अच्छा किया / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह ठीक किया
ख़ुद पर लाद कर नहीं रखा कुछ भी
दुखदायी भावुक पल आँचल में बान्धकर
जीवन-सौन्दर्य खोजती रही तुम

लगाया मन भी जहाँ
की नहीं परवाह प्राणों की भी
जानलेवा परिस्थितियों का मुक़ाबला करते समय
लड़खड़ाए होंगे तुम्हारे पैर
तुम तब भी विचलित नहीं हुई
एकान्त के घनेरे बन में
चलती रही दृढ़ निश्चय से
बतियाती रही हवाओं से
आईने के पीछे के पारे से
मन को अचल रखकर

इनसानों ने ही भला
ऐसा
क्या बिगाड़ा है तुम्हारा?

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत