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यह जो बचा रहा है / साँवर दइया
Kavita Kosh से
आंधी ही नहीं
आग भी बना समय
इतना कुछ उड़ जाने पर भी
इतना कुछ जाने पर भी
इतना-सा कुछ
यह जो बचा रहा है
सिर्फ़ इसीलिए
रचना में इतना ही सच रहा है !