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यह महाजाल है / कैलाश झा 'किंकर'

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यह महाजाल है
माछ बेहाल है।

सामन आ खड़ा
वक़्त विकराल है।

ज़िंदगी गाँव की
जैसे बदहाल है।

आपके बिन मेरा
प्रेम कंगाल है।

काल हैं आप तो
वह महाकाल है।

कैसे आऊँ वहाँ
साथ जंजाल है।

भारती के लिए
लाल ही लाल है।

दुश्मनों की नहीं
चल रही चाल है।