भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह राष्ट्रगान का समय है / अनुज लुगुन
Kavita Kosh से
यह राष्ट्रगान का समय है
चुपचाप खड़े रहो
बोलना मत
हिलना मत
केवल भक्ति-गीत गाए जाओ
सवाल-बवाल मत करो
यह राष्ट्रगान का समय है
अगल बगल न देखो
अपना काम है सामने देखो
सीधा देखो
गलत-वलत कुछ भी नहीं है
देशहित में में लगे रहो
यह राष्ट्रगान का समय है
उँगली न उठाओ
हत्या, बलात्कार, लूट-पाट
कुछ तो नहीं हुआ है
तुम साज़िश-वाज़िश मत करो
यह सबसे पवित्र समय है,
भक्ति करो !
भक्ति करो !!
भक्ति करो !!!