भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

याद रहती है हमेशा रहनुमाई आपकी / शोभा कुक्कल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

याद रहती है हमेशा रहनुमाई आपकी
सुन नहीं सकते कभी हम तो बुराई आपकी

आ गई मुट्ठी में अपनी इस जहां की हर खुशी
रास आई है हमें तो आशनाई आपकी

हो रही है इसपे दुनिया भर की सब दौलत निसार
नेक नीयत की कमाई है कमाई आपकी

अपने भक्तों से छुड़ाकर जाओगे अब तुम कहां
हमने थामी है अक़ीदत से कलाई आपकी

सूद भी देंगे करेंगे शुक्रिया भी हम अदा
हम अदा कर देंगे इक दिन पाई पाई आपकी

इश्क़ फरमाते रहो मत हौसला छोड़ो कभी
देखने आएंगे हम इक दिन सगाई आपकी

हम ठहर सकते नहीं हर दिन मुक़ाबिल आपके
हम अकेले हैं और सारी खुदाई आपकी

आप शोभा जी युंही करते रहे गर शायरी
महफ़िलों को लूट करेगी खुशनवाई आपकी।