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युग परिवर्तन / कालीकान्त झा ‘बूच’

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चिडै चित्त आब अंडे उड़ैए,
गोनु मौन भोनुए के फुड़ैए,
बुचना घऽर पकडलक बुचनी बनि गेलै बहरैया
औ बाबू औ भैया की भऽ गेलै ले बलैया
चोकटलि करिअम्मा सन कनिया,
सासु सुपक्क सिनुरिया
बेटा पड़ले गाम बाप छथि,
खुट्टा ठोकि खगडिया
लाजो लगैए कहय पड़ैए अनसोहाँत सभ सहऽ पड़ैए
मोछ उट्ठा अधपै पौआ केशपकुआ सेर सवैया
औ बाबू औ भैया की भऽ गेलै ले बलैया
पति-पत्नी पौआ पासी छथि
फड़लनि छुच्छ उड़ीसे
अथवा देवक घरसँ आयल
खरदूषण दस बीसे
क्यो पुक्के माँक सेजे तर,
क्यो पुक्के बापकक बेडेपर
घऽर लगनि सकरी टीशन सन सतत माल पलटैया
औ बाबू औ भैया की भऽ गेलै ले बलैया
एक्के धोती अहिरन पहिरन,
सएह पुरूष कहवै छथि
अझुका नेता खादी तर,
अंडरवीयर पहिरै छथि
एक पेरिए मे ई अकरहरि,
दुहू जीव एक्के रिक्शा पर
पिक्चर देखऽ चलला लऽ कऽ चानी केर रूपैया,
औ बाबू औ भैया की भऽ गेलै ले बलैया
सोझ साझ सभ संचमंच छथि,
नेङरे खूब नचैए
पी. एच. डी. सुनथि अवाक,
मुँरखहवे थैसिस दैए
लाल डोमघर कंठी बाना,
पंडित जी चलला पसिखाना
बूढी माघ नहाथि जुआन के जेठो मे जडैया
औ बाबू औ भैया की भऽ गेलै ले बलैया