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ये हाथ / आत्मा रंजन
Kavita Kosh से
ऐसे मत देखो भाई इन्हें
काले हैं बदरंग तो क्या
खुरदरे और सख्त
ये हाथ
तमाम सौंदर्य के सर्जक हैं
खिलाते हैं सबसे सुंदर फूल
उगाते सबसे सुंदर फल
गठीले चिकने सबसे सुंदर दाने
सबसे सख्त दाने के भीतर
रचते सबसे कोमल अंकुर
पोसते सबसे कोमल कोंपल
सबसे सुंदर बनाते हैं घर
दीवारें पोतते सबसे सुंदर
रास्ता बनाते निष्कंटक
साफ शफ़्फ़ाक
तोड़ते सबसे सख्त बंजर
जानते समझते हैं
बिवाइंयों का दर्द
हाथ की और खेत की भी
ऐसे मत देखो भाई इन्हें
काले हैं बदरंग तो क्या
खुरदरे और सख्त
ये हाथ!