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रचाव रा रंग / नीरज दइया

रचाव रा रंग
हाल खूट्या नीं है।

अजेस बाकी है आवणी
दुनिया री
कीं टाळवीं-
कवितावां।

आ बात छोड़ो
कै कुण लिखैला
बां नै।
पण राखो पतियारो
कै अजेस बाकी है
लिखीजणी
दुनिया री
कीं और कवितावां।

कवियां रै ओळै-दौळै
घूमै है बां री
आतमावां।

पक्कायत देवैला
बै रचाव नै
नूंवां राग
नूंवां रंग।
क्यूं कै बै
हणै ई मुगत है
जीवण
अर
मरण सूं।