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रहस्य / महेश वर्मा
Kavita Kosh से
कितने बल से धकेला जाए दरवाजा दाहिने हाथ से
ओर उसके कौन से पल चढ़ाई जा सकेगी बाएँ हाथ से चिटखनी
इसी संयोजन में छुपा हुआ है -
मुश्किल से लग पाने वाली चिटखनी का रहस्य।
इस चिटखनी के लगने से जो बंद होता दरवाजा
उसके बाहर और भीतर सिर झुकाये खड़ी है लज्जा
कि जीवन भर समझ नहीं पाया पुरुष
इसे बंद करने की विशेषज्ञता को सीखने में
स्त्री की अरुचि का रहस्य।
एक विशिष्ट आवाज़ है इस चिटखनी के खुलने बंद होने की
धीरे-धीरे हुई यह दरवाजे की आवाज़ और अब
यह प्रतिनिधि आवाज़ है इस घर की।
इसी से बन सका है घर का हवाओं से एक मौलिक और निजी रिश्ता
खोलते बंद करते छू जातीं उँगलियाँ जहाँ नियम से
छूट गया है वहाँ पर दरवाजे़ का थोड़ा सा रंग
झाँक रहा है नीचे से लकड़ी का प्राचीन रहस्य।