मैं नहीं करता प्रेम अपने देश से
इसकी महिमा
निराकार, अमूर्त्त है
लेकिन
(यह सुनने में ठीक नहीं लगता, इसलिए)
मैं दे सकता हूँ अपना जीवन
इसके दस स्थानों,
कुछ लोगों,
बन्दरगाहों, देवदार के वनों,
क़िलों, किसी उजाड़ शहर,
बेरंग, विशालाकार,
इतिहास की इसकी कुछ आकृतियों,
पर्वतों
(और तीन-चार नदियों) के लिए।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र