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राज़ क्या है ? / महेन्द्र भटनागर

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हवा सर्द है !
रात खामोश है
जिस तरह चुप तुम्हारे अधर !

बात क्या है ?
राज़ क्या है ?
कि जो सो गयी हर लहर !

दे रही नींद पहरा,
घिर गया तिमिर गहरा,
उठ रहा दर्द है !
हवा सर्द है !