भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात ढलने के बाद क्या होगा / सरवत हुसैन
Kavita Kosh से
रात ढलने के बाद क्या होगा
दिन निकलने के बाद क्या होगा
सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ
बच निकलने के बाद क्या होगा
ख़्वाब टूटा तो गिर पड़े तारे
आँख मलने के बाद क्या होगा
रक़्स में होगी एक परछाई
दीप जलने के बाद क्या होगा
दश्त छोड़ा तो क्या मिला ‘सरवत’
घर बदलने के बाद क्या होगा