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रात मदहोश है दिवानी भी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
रात मदहोश है दिवानी भी।
जिंदगी दर्द है रवानी भी॥
शीत मौसम हुआ गुलाबी सा
है हवा गर्म भी सुहानी भी॥
चैन दिन में न नींद रातों में
हाय क्या चीज़ है जवानी भी॥
राह जो नेकियों की है चलता
रब की उसपे ही मेहरबानी भी॥
टूटती मुफ़लिसी क़हर बनकर
हो गयीं बेटियाँ सयानी भी॥
सिर्फ़ वादों की सियासत देखो
हर तरफ़ झूठ है कहानी भी॥
अश्क़ आँखों में औ हँसी लब पर
है अजब दौर ज़िन्दगानी भी॥