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राबर्ट बर्न्स के साथ एक सुबह / विष्णुचन्द्र शर्मा

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सुबह सिर्फ
सागर की की होती है
सम्मोहक।

सुबह सिर्फ
यात्री की होती है
मित्रवत्।
सुबह सुबह
गल्फ का मैदान जागता है।

सुबह सुबह
बंद घरों की घंटियां बजाता है सागर।
सुबह सुबह
बर्न्स की कविता गुनगुनाती है हवा।
सुबह सुबह
बर्न्स के हाथ में हाथ दे घूमता है सागर।

सुबह सुबह
खाली एक पन्ना आकाश ने दिया है बर्न्स को

सुबह सुबह
यात्री ने कहा, मित्र, गीत लिखो नया।

-3.6.86 स्कॉटलैंड