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रास्ते पर / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
रास्ते पर चलते–चलते
भीड़ में जलते-जलते
अकेले हो जाने पर
हम राख हो जायेंगे
और अगर
कोई साख चाहेगा
तो हम इस तरह
अपनी राख से
अपने शानदार ज़माने की
साख हो जायेंगे