भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रुथ के प्रति / भुवनेश्वर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यदि प्रसन्न पंख गिर जाएँ
और दॄष्टि आँखें मूँद ले
बाज़ दम तोड़ दे
और मकरंद की आँखों में आँसू आ जाएँ
यदि दोपहर चमकने लगे
आगामी कल के उजाले से
रातों में सन्नाटा छा जाए
मछुवारों की पतवारों से

यदि वह झूठ बोलने के लिए भी
(शोक मनाना चाहता है)
और सच बोलने के लिए मरना चाहता है
तो उसके लिए
बोलने के साथ मर जाना बेहतर है
रुथ के कान में कुछ कहने के बजाय।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश बक्षी