रूख राई ला लगावो भईया / शकुंतला तरार
रूख राई ला लगावो भईया ए जिनगी ला बचाही
नहीं तो चातर राज मा मनखे बिन पानी मर जाही
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे
हमर देस के थाती बन ए सुद्ध हवा हमला देथे
धुर्रा, माटी, झांझ, बरोंड़ा, गर्रा, घाम अगियाथे
पेड़ बिगन ए जिनगी जइसे मछरी बिन पानी के
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे
रुख राई रईही तब बरसा रिमझिम-रिमझिम आही
अमरईय्या मा कुहके कोइली मऊहा महक-महक जाही
आमा अमली चार चिरौंजी आनी-बानी मिलही
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे
महानदी, अरपा, इंद्रावती, शिवनाथ, हसदो, पैरी
सप्तरिसी के ए भुईयाँ मा कइसे परदूसन बैरी
दंडकारण्य इही छत्तीसगढ़ मा जिनगी सुफल बनाही
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे
रुख सेवा ले बढ़के कोनो सेवा नई दुनिया मा
अपन सुवारथ बार मनखे काटत हे अपने तन ला
खेत खार कोला बारी मा बगराओ हरियाली
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे