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रून-झून बाजै तोरोॅ पायलिया / राधेश्याम चौधरी

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रून-झून बाजै तोरोॅ पायलिया,
पागल बनाय देलेॅ छै तोरॉे पायलिया।
सब दिवाना छै तोरोॅ पायलिया,
नींद नै लागै छै तोरोॅ पायलिया।
जबेॅ-जबेॅ बाजै छै तोरॉे पायलिया,
सुधी बिसराय छै तोरोॅ पायलिया।
ऐंगना-दुआरी घरोॅ बिछुआरी मेॅ
रून-झून बाजै छै तोरोॅ पायलिया।
लुका-छिपी मिलै छी डरों लागै छै,
शोर करै छै तोरोॅ पायलिया।
सुधी बिसरावै छै तोरोॅ पायलिया,
पिछा नै छोड़ै तोरोॅ पायलिया।