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रोहिदासा शिवराईसाठी / गोरा कुंभार
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रोहिदासा शिवराईसाठी। दिली पुंडलिका भेटी॥ १॥
पुंडलिका झाला अनुताप। धन्य सत्य गुरु माय बाप॥ २॥
जन्मा येऊनियां काय केली करणी। व्यर्थ शिणविली जननी॥ ३॥
नऊ महिने ओझें वागऊन। नाहीं गेला तिचा शीण॥ ४॥
ऐसा झालो अपराधी। क्षमा करा कृपानिधी॥ ५॥
ऐसा पुंडलिका भाव। उभा केला पंढरीराव॥ ६॥
भक्त पुंडलिकासाठी। उभा भिंवरेच्या तटी॥ ७॥
कटावरी ठेवूनी कर। उभा विटेवरी नीट॥ ८॥
ऐसा भाव धीर म्हणे गोरा। तीर्था जा फजितखोरा॥ ९॥