भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लापता पूरी स्त्री / लीलाधर जगूड़ी
Kavita Kosh से
मौत पैदा करते पुरुषों ने
जीवन पैदा करती स्त्री को
पहले ही प्रेम की बुनियाद में गाड़ रखा है
अपने में आधी स्त्री का प्रतिनिधित्व लिए हुए
पुरुष डोलता रहता है
पूरी स्त्री की ढूँढ़ में
पूरी स्त्री में मिलती है उसे वह आधी स्त्री जो उसके भीतर से ग़ायब थी
उस आधी स्त्री में ढूँढ़ता है वह
उस पूरी स्त्री को
जो अपने में बाँधे है पूरा परिवार
आधी स्त्री कहाँ जाए अपनी पूर्णता के लिए.