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लोकतंत्र की भीड़ में / रामकृष्ण पांडेय
Kavita Kosh से
खाओ, पिओ, मौज मनाओ
लोकतंत्र की भीड़ में
मारो, पीटो, लूटो, काटो
लोकतंत्र की भीड़ में
तोंद चढ़ाओ, दाँत दिखाओ
लोकतंत्र की भीड़ में
मूँड़ हिलाकर रामनाम लो
लोकतंत्र की भीड़ में
भ्रष्ट आचरण में लग जाओ
लोकतंत्र की भीड़ में
डरे हुओं को और डराओ
लोकतंत्र की भीड़ में
पेड़ लगाओ, फीता काटो
लोकतंत्र की भीड़ में
अपनी महिमा अपने गाओ
लोकतंत्र की भीड़ में
मानसरोवर होकर आओ
लोकतंत्र की भीड़ में
तीर्थनीति से राह बनाओ
लोकतंत्र की भीड़ में