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लौटती धूप / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
इन रतनारे पर्वतों पर
साँझ की धूप के नन्हें टुकड़े
वापिस सूर्य की तरफ
भाग रहे हैं
धूप के टुकड़ों के संग़
दौड़ते-चलते
मैं मुक्त हो गया हूँ
मैं धूप हो गया हूँ
---सपना