वक्त ग़र ये बेवफ़ा हो जायेगा
सिर्फ ग़म का सिलसिला हो जायेगा
मिल नहीं पाया जमीं से आसमाँ
वो भी इक दिन गुमशुदा हो जायेगा
गलतियों को ग़र भुलाते ही रहे
वो गुनाहों का ख़ुदा हो जायेगा
है बदल दी राह तो मत लौटना
जख़्म सूखा फिर हरा हो जायेगा
मिल गया रुतबा जरा झुक कर चलो
कद तुम्हारा भी बड़ा हो जायेगा
पाँव सच की राह पर आगे बढ़ा
सारी दुनियाँ का भला हो जायेगा
आसमाँ को ओढ़ धरती को बिछा
खूबसूरत आशियाँ हो जायेगा