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वर्षा राग-2 / उदय प्रकाश
Kavita Kosh से
मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
छींके के सपने में खोई पूसी भड़की
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है
घड़ों-घड़ों पानी औटाओ, मूसलधार गिराओ
लेकिन सब चुपचाप करो, चिड़ियों को नहीं डराओ!