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वसन्त / राकेश रंजन
Kavita Kosh से
टूटता है मौन
फूलों का
हवाओं का
सुरों का
टूटता है मौन...
टूटती है नींद
वॄक्षों की
समय के
नए बीजों की
सभी की
टूटती है नींद...
टूटती है देह मेरी
टूटता वादा
पुराना ।