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वहाँ अलका में प्रात: सूर्योदय के समय / कालिदास
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गत्युत्कम्पादलकपतितैर्यत्र मन्दारपुष्पै:
पत्रच्छेदै: कनककमलै: कर्णविभ्रंशिभिश्च।
मुक्ताजालै: स्तनपरिसरच्छिन्नसूत्रैश्च हारै-
र्नैशोमार्ग: सवितुरुदये सूच्यते कामिनीनाम्।।
वहाँ अलका में प्रात: सूर्योदय के समय
कामिनियों के रात में अभिसार करने का
मार्ग चाल की दलक के कारण घुँघराले
केशों से सरके हुए मन्दार फूलों से, कानों
से गिरे हुए सुनहरे कमलों के पत्तेदार
झुमकों से, बालों में गुँथे मोतियों के बिखेरे
हुए जालों से, और उरोजों पर लटकनेवाले
हारों के टूटकर गिर जाने से पहचाना जाता
है।