वार्ता:कविता कोश में योगदान कैसे करें
परिचय
गिरिधर कवि
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी के अनुसार-“नाम से गिरिधर कविराय भाट जान पड़ते हैं ।शिव सिंह ने उनका जन्म –संवत 1770 दिया है ,जो सम्भवत: ठीक है ।इस हिसाब से उनका कविता-काल संवत1800 के उपरान्त ही माना जा सकता है।उनकी नीति की कुण्डलियाँ ग्राम –ग्राम में प्रसिद्ध हैं अनपढ़ लोग भी दो-चार चरण जानते हैं।इस सर्वप्रियता का कारण है बिल्कुल सीधी –सादी भाषा में तथ्य मात्र का कथन।”
गिरिधर कवि ने नीति ,वैराग्य और अध्यात्म को ही अपनी कविता का विषय बनाया है ।जीवन के व्यावहारिक पक्ष का इनके काव्य में प्रभावशाली वर्णन मिलता है ।वही काव्य दीर्घजीवी हो सकता है जिसकी पैठ जनमानस में होती है ।गिरिधर कवि इस निकष पर खरे उतरते हैं।ये आज के उन कवियों की तरह नहीं हैं, जिनके मरने से पहले ही उनकी कविता मर जाती है ।
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’