भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वार्ता:चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया
Kavita Kosh से
चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने न दिया चाँद के रथ पे रात की दुल्हन, जब जब आएगी याद हमारी आपके दिल को तदपा जायेगी आपने जो है दिया, वो तो किसी ने न दिया, ज़हर भी चाहा अगर पीना तो पीने ना दिया, आपका गम जो इस दिल में, दिन रात अगर होगा सोच के ये दम घुट ता है, फिर कैसे बसर होगा, काश ना आती अपनी जुदाई, मौत ही आ जाती कोई बहाने चैन हमारी, रूह तो पा जाती एक पल हसना कभी, दिल की लगी ने ना दिया ज़हर भी चाहा अगर, पीना तो पीने ना दिया...