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वास्तव में मैं तुम्हारा अंश हूँ / उर्मिल सत्यभूषण
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हे कृष्ण! इसे मेरा दंभ
न समझना कि मैं तुम्हारे
संग अपना मुकाबला कर रही हूँ
वास्तव में मैं तुम्हारा
ही अंश हूँ! तुम्हारी सुनीति
तुम्हारी राजनीति, तुम्हारी कूटनीति
तुम्हारी व्यवहार नीति जो संसार
को चलाने के लिये अनिवार्य है
अद्भुत रूप से मेरे भीतर समाती
जा रही है।
तुमने अपनी सारी सुंदर
कलाओं को मेरे रक्त में प्रवाहित
कर दिया है कि वे अब
अभिव्यक्ति के विभिन्न छोरो
को छूने को लालायित हो उठी हैं।