विदाई गीत / हरेराम बाजपेयी 'आश'
जाने वाले मीत मेरे, यह गीत समर्पित करता हूँ,
और नयन में आँसू भरकर विदा तुम्हें मैं करता हूँ।
साथ तुम्हारे बीते दिन, याद मुझे तो आयेंगे,
तुम भी नहीं भुला पावोंगे, रह-रह याद दिलएंगे,
दर्द बिछड्ने का है कितना, कैसे तुमको बतलाऊँ,
आज विलग हो जाओगे, इस सोच में आहें भर्ता हूँ।
और नयन में आँसू।
था बसंत-सा जीवन मेरा, कारण इसके एमआईटी तुम्हीं,
तूफानों से मुझे बचाने, बन जाते ते भीत तुम्हीं,
अब न बसंती हवा चलेगी और ने टेसू फूलेंगे,
कल तक था मधुमास हमारा, अब पतझर-सा झरता हूँ।
और नयन में आँसू।
दिल बेचैन इस तरह जैसे, मेरा सब कुछ चला गया,
खुशबू साथ छोड़ कर चल दी, फूल बेचारा चला गया,
काँटे जैसी चुभन हो रही, एमआईटी तुम्हारे जाने से,
भँवरे जैसा मन भटकेगा, इसी बात से दर्ता हूँ।
और नयन में आँसू।
पाँखुर-पाँखुर प्रीति पगी है और रीत का धागा है,
हार नहीं यह प्रेम हमारा, गले तुम्हारे है,
कहना बहुत-बहुत था लेकिन, आज यही कह पाऊंगा,
जीवन सुखमय बने तुम्हारा, यही कामना करता हूँ।
और नयन में आँसू।
प्रेम पाश के बन्धन में हो, कैसे "आश" रिहाई दूँ,
ऐसे शब्द कहाँ से लाऊँ, जिनसे आज बिदाई दूँ।
भूल हुई हो मुझसे कोई, क्षमा उसे तुम कर देना,
दिल में नहीं बात कुछ रखना, विनय यही मैं करता हूँ।
और नयन में आँसू...॥