भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विदाई गीत / 4 / भील

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाडि पछि फिरिन् भाल, तारो बावो पछि बुलावे।
लाडि पछि फिरिन् भाल, तारी माय पछि बुलावे।
लाडि पछि फिरिन् भाल, तारो भाइ पछि बुलावे।
लाडि पछि फिरिन् भाल तारी भोजाइ पछि बुलावे।

बारात रवाना होने को है, दूल्हा आगे चल रहा है, दुल्हन का भाई दुल्हन को उठाये हुए उसके पीछे चल रहा है। मार्मिक क्षण हैं आँखों मे अश्रु लिये वर पक्ष की महिलाएँ यह गीत गाती हैं-

- दुल्हन से कहा गया है कि तू पीछे मुड़कर देख, तेरे पिताजी वापस बुला रहे हैं। आगे इसी प्रकार माता और भाई-भौजाई के बारे में कहा गया है।