यादों की स्वच्छ/निर्मल
झील में
संदर्भों के इतिहास रचता
हंसों का यह युगल
कितना निष्प्राण लगता है।
संपूर्णता का अभाव लिए
संदर्भों का यह इतिहास
असफलताओं का इतिहास
प्रतीत होता है।
इच्छाएँ..., जो
पतझर में झरे पत्तों-सी
कुचल कर रख दी गईं।
मासूमियत के अहसासों से भरा
यह युगल
बीते हुए कितने ही
मधुर/बासंती क्षणों की
यादगार मात्र रह गया है
प्यार और चाहत के
नुचे पंखों वाला यह युगल
न जाने किस प्रेरणा के
वशीभूत हो
मेरे कदमों में गिर
एक और टूटे संदर्भ को
जोड़ने का
विफल प्रयत्न करने लगा है।