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विवाह दिवस पैसठवाँ परसू / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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विवाह दिवस पैसठवाँ परसू इन्तजार में बैठलेॅ छी।
नैहरा सें अयभों तों कखनी हम्मे खटियाँ सटलेॅछी।
वायुयान सें चलभौ कखनी
कखनी कहाँ उतरभौ जी?
स्वागत में पहिनें सें रहभौं
गजरा गला पीनैभौं जी।
रसता पैड़ा साफ करै में अजी रात दिन खटलेॅ छी।
विवाह दिवस पैसठवाँ परसू इन्तजार में बैठलेॅ छी।
चौसठवाँ से वेशी खरचा
पैसठवाँ में करना छै।
भोज भात धमगज्जड़ होयतै
सबकेॅ मन केॅ हरनाँ छै।
गीत सुनैभौं जत्ते सुनभौ कखनू बोलेॅ हटलेॅ छी?
विवाह दिवस पैसठवाँ परसू इन्तजार में बैठलेॅ छी।
बाबा दादी ऐतै कहिया?
नूनँ रोजे पूछै छै।
झूठ-फूस कब ताँय कहबै जी?
आँख डबाडब पोछै छी।
कब ताँय ठगबै तोंही बोलॅ कैहियो हम्मे भठलेॅछी?
विवाह दिवस पैसठवाँ परसू इन्तजार में बैठलेॅ छी।

27 अप्रैल, 2015 को पैसठवाँ विवाह स्मृति दिवस शेष कौशल्या देवी और मेरा है।

25/04/15 सुप्रभात 6.15