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|संग्रह=
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatNavgeet}}<poem>कुछ भी बदला नहीं फलाने! 
सब जैसा का तैसा है
 
सब कुछ पूछो, यह मत पूछो
 आम आदमी कैसा है।है ?
क्या सचिवालय क्या न्यायालय
 
सबका वही रवैया है
 
बाबू बड़ा न भैय्या प्यारे
 
सबसे बड़ा रुपैया है
 पब्लिक जैसे हरी फसल फ़सल है शासन भूखा भैंसा है।है ।
मंत्री के पी. ए. का नक्शा
 
मंत्री से भी हाई है
 
बिना कमीशन काम न होता
 
उसकी यही कमाई है
रुक जाता है, कहकर फ़ौरन
`देखो भाई ऐसा है' ।
रुक जाता है, कहकर फौरन `देखो भाई ऐसा है'।  मन माफिक सुविधायें माफ़िक सुविधाएँ पाते 
हैं अपराधी जेलों में
 कागज काग़ज़ पर जेलों में रहते 
खेल दिखाते मेलों में
 जैसे रोज रोज़ चढ़ावा चढ़ता इन पर चढ़ता पैसा है।है ।</poem>
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