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Kavita Kosh से
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तुलसीदास का दोहा -
<b>आवत ही हरशै नहीं , नैनं नहीं सनेह |
तुलसी तहा न जाईये , चाहे कंचन बरसे मेह ||
</b>
कहाँ से लिया गया है?
Arun jaimini ke kavita padna chahata hu. Kavita ek haryana police ke sipahi k intarveu ke hai. Ho sake tou plz mujhay vajpayee_amit@yahoo.co.in par mail kar dai.