भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यही, हाँ, यही / अज्ञेय

4 bytes removed, 11:42, 3 फ़रवरी 2011
उस मेरी मधु-मद-भरी
रात की निशानी :
एअक एक यह ठीकरे हुआ प्याला
कहता है-
जिसे चाहो तो मान लो कहानी ।
और दे भी क्या सकता हू~म हूँ हवाला
उस रात का :
या प्रमाण अपनी बात का ?
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits