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उम्मीद / ज़िया फ़तेहाबादी

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:छोड़ पीछा मेरा , कमबख्त, कमीनी, बदखू
:ज़िन्दगी मेरी अजीरन हुई तेरे कारण
:तू मेरे पीछे चली आती है - दिन हो कि हो रात
:बाद ओ बाराँ में भी पाता हूँ तुझे साथ अपने
:और जब तू है मेरे साथ तो फ़िलवाके
:मेरी मंज़िल हुई जाती है पहुँच से बाहर
:तेरे नगमों की मधुर तानों में खो जाता हूँ