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{{KKRachna
|रचनाकार=मीराबाई
}}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyRam}}<poem>अब तो मेरा राम नाम दूसरा न कोई॥
माता छोडी पिता छोडे छोडे सगा भाई।
साधु संग बैठ बैठ लोक लाज खोई॥