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माँ के आँचल को / रमा द्विवेदी

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|रचनाकार=रमा द्विवेदी
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मेरी साँसों की घड़ियां बिखरती रहीं।<br>
फूल से पंखुरी जैसे झरती रही ॥<br><br>