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{{KKCatKavita‎}}<poem>कैसे रहे होंगे वे हाथजिन्होंने चिडि़या का चित्र बनायाबहुत बार उड़े होंगे/आकाश की ऊंचाईयों मेंकितनी बार सुनी होगीचिडि़या की चहकबच्चे की तुतली मिठास मेंऔर सारी उम्र किया होगाचिडि़या-सा घोंसला बनाने का जतनउड़तीचहकतीतिनके चुनतीघोंसला बनाती चिडि़याघोंसले से गिरते कुछ तिनकेवह उठातासहेजताऔर करता रहताचिडि़या-सा घोंसला बनाने का अभ्यासक्योंकि रोज आ बैठतीएक चिडि़या उसके भीतर।</poem>