भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
और शब्द ग़ायब हो गए
चले गए कहीं
तब और मैंने भी छोड़ दिया उन्हें उनकी इच्छा पर
जब पर सवेरे अख़बार उठायाजबतो एक शब्द को मैंने उसमें छिपा पाया
कुछ शब्द सुनाई दिए सेटलाइट चैनल पर
और कुछ मिले समकालीन पत्रिकाओं में
वे फिसल गए वे मेरे हाथ से
जब शाम को
मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,466
edits