भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
उसका तू कर पूजन-
छाया मत छूनामन होगा दुख दूना मन
मन, होगा दुख दूना।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं